Saturday, 10 June 2023

पुराने पन्ने ।।

हाथ में कलम था मगर पन्ना कोरा ही रहा, 

बोहोत वक्त बीत गया सोचने में ।

क्या लिखूं ?

इतना कुछ है, जो जहन में है मगर बया कैसे करू ?

स्याही भी सुख गई और पन्ना भी हवा में उड़ गया 

लिख मेरा मन रहा था 

यादों के पन्नो पर, आंखों की कलम से आंसुओं की स्याही से ।

फिर वही बातें, वही राते,

हस्ते हुए दिन और गीत भरी शामे ।

थोड़ा और जी लिया होता उन लम्हों को,

अपनी परेशानियों को दूर ढकेलकर कूद जाता खुशी के कुएं में,

डूबता भी तो खुशी से डूबता ।

वक्त इतना सब बदल देता है क्या ?


No comments:

Post a Comment