वो क्या है जो हर किसीको सोचने पर मजबूर कर देता है ?
क्यों कोई देर रात को गहरी सोच में पड़ जाता है ?
हम अक्सर अकेले होते है तो बीते पल याद करते है।
कुछ चीज़े अलग से करने का मौका मिल जाए तो न जाने हम आज वो नहीं होते जो अभी है।
कभी ये ख्याल तो आया ही होगा हर किसीको को !
हम सबने कुछ गलतिया की होंगी जो समय में पीछे जाकर बदलने का मन करता है।
एक नकली चेहरा पहने घूमते है हम सब
वो झूठी मुस्कान लिए सब को बेवकूफ बनाते रहते है
अपने आप को भी।
जब थके हारे शाम को घर लौटते है,
तो आईने में दिखता है हमे।
वो जिसने मुखौटा नहीं पहना,
हमे रोता देखकर जो हंस रहा हैं।
उसे नज़रअंदाज़ कर के जब सोने की कोशिश करते है,
तो पलकों के बीच का फैसला इतना बढ़ जाता है जितना आसमान और ज़मीन के बीच हो।
पता नहीं किस की खोज में रहता है हमेशा ?
आज कल तारे क्या चाँद भी नज़र नहीं आता इन शहरो में !
में अक्सर अपनी दिल बात चाँद से बयान करता हूँ।
उससे क्या ही छिपाना,
काली रातों में जो अपनी रौशनी से अंधे को राह दिखाए।
मुखौटे के पीछे छुपे हमारी असलियत को वही तो पहचानता है।
इन शहरो में आज कल उसअंधे को रह देने वाला कोई नहीं !
तरसती है आँखें उस रौशनी को महसूस करने के लिए.......
कभी शांत बहती नदी में देखा करता था में उसकी परछाई,
ऐसा लगता जैसे आसमान और ज़मीन का मिलान हो रहा हो।
उसकी सफ़ेद रौशनी में
किनारे की रेत समंदर कि लेहरो को चूमते हुए गहरायी की तरफ खिच्ची चली जाती।
आँखें खुली रखकर ही सो जाते है हम,
बीते कल की सपनो में खोकर।
सुबह की किरने फिर बहलाती
उम्मीद के कुछ पल छलकती
सपने को सच सा जताती
ये दिल की धड़कने
फिर एकबार अपने को यकीन दिलाती
आज चाँद आएगा
कोशिश होगी
तू आज आँखे बंद करके सोये।
उम्मीद है..........!?
तुझे आज नींद आये