Wednesday, 1 May 2019

शहर !


जिस शहर से आप हो आयी,
वहा का में देहाती।

रास्ता ढूंढते हुए जब
एक नाम से नज़र मेरी टकराई।

कैसा दस्तूर है यह
जो
आपसे बात करने को मन किया
तो
मैंने कविता की राह अपनायी। 

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