Sunday, 16 May 2021

बस युही

आज कुछ ऐसा हुआ, 

ऐसा लगा जैसे अब करने को कुछ नही । 


महसूस किया मैंने कुछ ..

लगा जैसे हम केवल साँस हि तो ले रहे है ।

ऐसा लगा जैसे जीवन का सार समझ लिया मैंने ।


ऐसे समय मे मैंने लोंगो को सुन्न होकर् जीवन रेखा पार करते देखा है !


मगर मैंने वक्त कि गेहराई में जो देखा आज, 

उसे नापने का मन कर गया

ठहर गया लकीर से एक कदम पीछे

.

.

पार किया तो क्या लौटूंगा कभी ?

क्या करना है जानकर जो आजतक कोई जान न सका ? 


मन खाली सा हो गया

कुछ नही कहने को,

न कुछ सूनने को है ..


समय के बहाव को इतनी नजदिक से जो देख लिया था ।


उलझन

सीधी एक बात है

लगती टेढ़ी सी है मुझे ।

दीखता है कुछ 

होता कुछ और है ।

अनकही है कुछ 

दिल सुनता कुछ और है ।

कैसे समझाऊ जिससे में खुद नासमझ हूँ ।

जानलो अब इस बात को

जिससे में खुद अनजान हूँ ।