आज कुछ ऐसा हुआ,
ऐसा लगा जैसे अब करने को कुछ नही ।
महसूस किया मैंने कुछ ..
लगा जैसे हम केवल साँस हि तो ले रहे है ।
ऐसा लगा जैसे जीवन का सार समझ लिया मैंने ।
ऐसे समय मे मैंने लोंगो को सुन्न होकर् जीवन रेखा पार करते देखा है !
मगर मैंने वक्त कि गेहराई में जो देखा आज,
उसे नापने का मन कर गया
ठहर गया लकीर से एक कदम पीछे
.
.
पार किया तो क्या लौटूंगा कभी ?
क्या करना है जानकर जो आजतक कोई जान न सका ?
मन खाली सा हो गया
कुछ नही कहने को,
न कुछ सूनने को है ..
समय के बहाव को इतनी नजदिक से जो देख लिया था ।
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